रतनपुर में दीपावली से पहले फटाखा व्यापारियों की आफत — बड़े व्यापारी सेटिंग से जमा रहे भीड़भाड़ वाली जगह, छोटे व्यापारी देख रहे ग्राहकों की राह!
रतनपुर/बिलासपुर। दीपावली की चकाचौंध अब नज़दीक है, लेकिन रतनपुर के छोटे फटाखा व्यापारी इस बार फिर अंधेरे में हैं। नगर पालिका प्रशासन की सुस्ती, ग़लत प्लानिंग और सेटिंगबाज़ी के कारण छोटे व्यापारियों की खुशियां धुंधली पड़ गई हैं।
अब तक तय नहीं हुई दुकान की साफ जगह, पालिका पर उठे सवाल
नगर पालिका प्रशासन ने अभी तक फटाखा दुकानदारों के लिए स्पष्ट और साफ जगह तय नहीं की है। जिन जगहों की बात की जा रही है, वहां दलदल, पानी और गंदगी भरी है, फिर भी पालिका “स्वच्छता अभियान” का ढिंढोरा पीट रही है।
सेटिंग से चलते हैं काम — बड़े व्यापारी भीड़भाड़ वाली जगह पर मस्त
व्यापारियों का आरोप है कि हर साल कुछ बड़े व्यापारी सेटिंग और पहचान के दम पर शहर के अंदर भीड़भाड़ वाली प्रमुख जगहों पर अपनी दुकानें जमा लेते हैं, जहां ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। जबकि छोटे व्यापारी दलदल और सुनसान जगहों में फंसकर नुकसान झेलते हैं।
“पालिका हर बार बड़े व्यापारियों को ही फायदा देती है, छोटे व्यापारी सिर्फ इंतज़ार करते रह जाते हैं,” एक स्थानीय व्यापारी ने नाराज़गी जताई।
छोटे व्यापारी दुकान लगाने को तैयार, पर ग्राहक नहीं पहुंच पाएंगे
छोटे व्यापारियों ने बताया कि उन्होंने माल मंगवा लिया है, दुकानें तैयार हैं, लेकिन जगह इतनी खराब है कि ग्राहक वहां तक आने से भी हिचकिचाएंगे। चारों ओर कीचड़ और पानी भरा है, जिससे व्यापार ठप होने का डर है।
स्वच्छता अभियान सिर्फ बोर्डों पर, ज़मीन पर दलदल का आलम
पालिका ने “स्वच्छ रतनपुर” के नाम पर नारे तो खूब लगाए हैं, लेकिन असलियत यह है कि जहां दुकाने लगाई जानी हैं, वहां गंदगी और दलदल ने ‘स्वच्छता अभियान’ की पोल खोल दी है।
छोटे व्यापारियों का अल्टीमेटम – अब करेंगे खुद तय अपनी जगह
व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द उचित कार्रवाई नहीं की तो वे अपने हिसाब से जगह चुनकर दुकानें लगाएंगे।
“हम हर साल नुकसान झेलते रहे हैं, इस बार अपने हक के लिए आवाज़ उठाएंगे,” उन्होंने कहा।
व्यापारियों की आवाज़ :
“सेटिंग वाले मना रहे हैं रोशनी की दीपावली, और हम देख रहे हैं दलदल में अंधेरी रातें।”
सवाल अब सीधा है – क्या इस बार भी पालिका की सेटिंगबाज़ी में छोटे व्यापारियों की दीपावली डूब जाएगी, या उठेगी रतनपुर से बदलाव की चिंगारी?
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