दशकर्म घाट बना 'गौशाला घाट' — प्रशासन की आंखों में धूल झोंकता बेजाकब्जा!

🔴 दशकर्म घाट बना 'गौशाला घाट' — प्रशासन की आंखों में धूल झोंकता बेजाकब्जा!

रतनपुर।
कभी जहाँ श्रद्धा और संस्कार की अंतिम विदाई दी जाती थी, आज वहाँ गायें बंधी हैं और गोबर बह रहा है! जी हाँ, कृष्णार्जुनी तालाब का पवित्र दशकर्म घाट अब निजी गौशाला में तब्दील हो चुका है — और ये सब हो रहा है प्रशासन की मौन स्वीकृति से।

सूत्रों के अनुसार, एक सरकारी शिक्षक के परिजन ने सार्वजनिक संपत्ति पर जबरन कब्जा कर घाट पर व्यावसायिक गौशाला खड़ी कर दी है। न मृत आत्माओं की शांति की चिंता, न परंपरा की गरिमा का ख्याल।
और तो और, राजस्व विभाग ने इस गंभीर मामले को महज़ “पंचनामा औऱ रकबा नाप” की खानापूर्ति कर रफा-दफा कर दिया — यानी कागजों में जांच, ज़मीन पर कब्जा बरकरार!

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🧨 सवाल ज़रूरी हैं...

क्या प्रशासन अब श्रद्धा स्थलों को भी “कमर्शियल ज़ोन” मानने लगा है?

शिक्षक का परिवार नियम से ऊपर कैसे हो गया?

क्या ये सुशासन तिहार का असली चेहरा है?
📣 जनता की मांग साफ है –
घाट को मुक्त कर मूल स्वरूप में लौटाया जाए, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
वरना श्रद्धा और संस्कार दोनों का दम इसी गोबर में घुट जाएगा!

🖋️ रतनपुर स्पेशल रिपोर्ट
“जहाँ घाट थे, वहाँ घोटाले हैं!”

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