रतनपुर – बलरामपुर जिले में रेत माफियाओं की हैवानियत तब सामने आई जब एक कांस्टेबल को ट्रैक्टर से कुचलकर मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटना ने प्रदेश भर में बवाल मचा दिया और हाईकोर्ट ने खनिज सचिव को जमकर फटकार लगाई। इसके बाद प्रदेशभर में खनिज विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमें अवैध रेत माफियाओं पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि रतनपुर थाना क्षेत्र इस मुहिम से अछूता बना हुआ है। यहां न कोई कार्रवाई, न छापेमारी और न ही किसी माफिया की गिरफ्तारी। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो रेत से भरे ट्रैक्टरों को पुलिस और खनिज विभाग ने "अभयदान" दे रखा हो।
सूत्रों की मानें तो रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर बिना किसी वैध दस्तावेज के रेत लेकर गुजरते हैं, लेकिन रतनपुर थाना और खनिज अमला आंख मूंदे बैठा है। सवाल यह उठता है कि क्या रेत माफियाओं को यहां से कोई "सिग्नल" मिल रहा है?
बिलासपुर जिले में कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर बीते पांच दिनों में कई क्षेत्रों में छापेमारी कर मिट्टी, रेत और भारी मशीनें जब्त की गई हैं। लेकिन रतनपुर में ये अभियान क्यों ठप है, इस पर न कोई अधिकारी जवाब देने को तैयार है और न ही कोई ठोस कार्रवाई दिख रही है।
जब इस विषय में कोटा एसडीओपी से सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कहा – "रतनपुर क्षेत्र में भी जल्द होगी कार्रवाई। किसी को नहीं छोड़ा जाएगा।"
अब देखना यह है कि क्या यह बयान महज औपचारिकता है या वाकई रतनपुर में भी चलेगा सख्ती का डंडा? या फिर यह इलाका माफियाओं का ‘वीआईपी जोन’ बना रहेगा – जहां कानून भी झुककर सलाम करता है।
जिम्मेदारों की चुप्पी और माफियाओं की दबंगई, ये साजिश नहीं तो और क्या है?
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