रतनपुर।
नगर पालिका रतनपुर द्वारा चलाए जा रहे बारकोड सर्वे अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं। नगर सीमा में संपत्तियों की डिजिटल पहचान के नाम पर चल रहे इस अभियान में अब वन विभाग और वन विकास निगम की भूमि पर बने मकानों पर भी बारकोड स्टीकर चिपका दिए गए हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह कार्रवाई नियमों के विपरीत है, क्योंकि वन विभाग की भूमि राज्य सरकार के संरक्षण में आती है और उस पर नगर पालिका का कर या सर्वे अधिकार नहीं होता। फिर भी बिना सीमांकन और जांच के टीम द्वारा घरों पर बारकोड चिपकाए जा रहे हैं।
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क्या वनभूमि पर बने मकानों को वैध ठहराया जा रहा है?
शहर में चर्चा है कि इस कार्रवाई से नगर पालिका अप्रत्यक्ष रूप से वनभूमि पर बने अवैध निर्माण को वैध ठहराने का काम कर रही है। बारकोड लगने से इन मकानों को अब “नगर निगम संपत्ति रिकॉर्ड” में शामिल माना जा रहा है, जिससे भविष्य में टैक्स वसूली और मालिकाना दावा जैसे विवाद खड़े हो सकते हैं।
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वन विभाग की चुप्पी भी सवालों में
वन विभाग और वन विकास निगम की ओर से इस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जबकि सूत्रों का कहना है कि विभाग को इस सर्वे की सूचना तक नहीं दी गई थी।
अगर ऐसा है तो यह अंतर-विभागीय सीमा उल्लंघन का मामला बन सकता है।
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नागरिकों की मांग – जांच हो
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल इस मामले की जांच कराए कि
क्या नगर पालिका को वनभूमि पर बारकोड लगाने की अनुमति थी?
किन सर्वे नंबरों की भूमि पर यह कार्रवाई की गई?
और क्या इस प्रक्रिया में किसी तरह की गड़बड़ी या निजी स्वार्थ तो नहीं जुड़े हैं?
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जनता का सवाल – नियम या मनमानी?
नगरवासियों का कहना है —
> “अगर वनभूमि पर भी बारकोड लगाया जा सकता है, तो क्या अब जंगल और सरकारी जमीन भी नगर पालिका के दायरे में आ जाएगी?”
ऐसे में रतनपुर में शुरू हुआ यह डिजिटल सर्वे अब कानूनी विवाद का रूप लेता दिख रहा है।
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