भाई दूज का पर्व: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक, स्नेह और श्रद्धा से सराबोर रहा दिन

भाई दूज का पर्व: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक, स्नेह और श्रद्धा से सराबोर रहा दिन


रतनपुर से संतोष सोनी चिट्टू 

रतनपुर भाई-बहन के अटूट स्नेह और विश्वास के प्रतीक पर्व भाई दूज का उत्सव आज पूरे क्षेत्र में बड़े ही हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। दीपावली के पश्चात आने वाला यह त्योहार पारिवारिक रिश्तों की मजबूती और प्रेम का संदेश देता है।
सुबह से ही घरों में तैयारियां जोरों पर रहीं। बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर आरती उतारी और उनके दीर्घायु, सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं भाइयों ने भी बहनों को उपहार देकर स्नेह का प्रतीक स्वरूप अपना प्रेम व्यक्त किया।
कहीं बहनें भाइयों के घर पहुंचीं तो कहीं भाई अपनी बहनों से मिलने गए — हर ओर प्रेम, अपनापन और आत्मीयता का अद्भुत संगम दिखाई दिया।

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 त्योहार का धार्मिक महत्व:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पधारे थे। यमुना ने प्रेम पूर्वक उनका तिलक कर आतिथ्य सत्कार किया था। यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वरदान दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से इस पर्व की परंपरा आज तक निभाई जा रही है।

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 सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश:

भाई दूज केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संबंधों में प्रेम, सम्मान और एकता का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की मजबूती भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि भावनाओं और साथ निभाने की भावना में होती है।


“भाई दूज के अवसर पर बहन ने भाई को तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना की — प्रेम और आशीर्वाद से सजी पारंपरिक रस्म।”

रिपोर्टर: CG Voice Express News 
 रतनपुर/बिलासपुर (छ.ग.)

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