रतनपुर खूंटाघाट बना मौत का जाल: पिकनिक की मस्ती मातम में बदली, 25 साल के युवक की डूबकर मौत

रतनपुर खूंटाघाट बना मौत का जाल: पिकनिक की मस्ती मातम में बदली, 25 साल के युवक की डूबकर मौत

रतनपुर, 14 अगस्त 2025:
प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध रतनपुर का खूंटाघाट एक बार फिर मौत का गवाह बन गया। बुधवार शाम पिकनिक मनाने पहुंचे 25 वर्षीय युवक विशाल मानकर की बांध में नहाते समय डूबकर मौत हो गई। गुरुवार सुबह एसडीआरएफ की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद उसका शव बरामद किया।


पिकनिक से शुरू हुआ था दिन, शव के साथ खत्म हुई शाम

मूलतः परसोरा, जिला बालाघाट (म.प्र.) निवासी विशाल मानकर, वर्तमान में दीपका, जिला कोरबा में कार्यरत था। बुधवार को वह अपने छह दोस्तों के साथ खूंटाघाट पिकनिक मनाने आया था। सभी ने मिलकर खाना बनाया, हंसी-ठिठोली की और फिर नहाने के लिए बांध में उतर गए।


इसी दौरान अचानक विशाल गहराई में चला गया और फिर नजरों से ओझल हो गया। दोस्तों ने पहले तो खुद ढूंढने की कोशिश की, लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला, तो पुलिस को सूचना दी गई। रात होने के कारण तलाश रोक दी गई, और अगली सुबह एसडीआरएफ टीम ने उसका शव बाहर निकाला।


खूबसूरत बांध या बेपरवाह मौत का फंदा?

अब बड़ा सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं?


  • क्या प्रशासन ने खूंटाघाट जैसे संवेदनशील स्थल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम किए हैं?
  • न तो कोई चेतावनी बोर्ड, न ही सुरक्षा कर्मी, न लाइफ जैकेट... फिर क्यों खुला छूट है यहां पिकनिक की?

हर बार हादसे के बाद प्रशासन बयान जारी कर भूल जाता है, लेकिन दर्द सहे परिवार और दोस्त क्या करें?


लापरवाही किसकी? दोस्तों की मस्ती या प्रशासन की उदासी?

कहना गलत नहीं होगा कि ये मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक लापरवाही की कीमत है
क्या युवक और उसके दोस्तों को खतरों का अंदाज़ा नहीं था?
या फिर प्रशासन ने इन्हें सचेत करने के कोई साधन उपलब्ध नहीं कराए?

जब जान जोखिम में हो, तब नियमों की चुप्पी सबसे ज़्यादा चुभती है।


परिवार पर टूटा दुख का पहाड़

विशाल की मौत की खबर जैसे ही उसके घर पर पहुंची, कोहराम मच गया। मां-बाप बेसुध हो गए। एक होनहार युवा, जो जिंदगी संवारने निकला था, अब कभी लौटकर नहीं आएगा। परिवार को अब सिर्फ सवाल बचे हैं — “क्यों नहीं बचा हमारा बेटा?


अब भी नहीं चेते तो अगला नंबर किसका?

खूंटाघाट में ये पहला हादसा नहीं है। इससे पहले भी कई लोग यहां अपनी जान गंवा चुके हैं। मगर सवाल वही— क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है?

जब तक वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होते, तब तक खूंटाघाट केवल पर्यटन स्थल नहीं, मौत का ट्रैप बना रहेगा।


अब वक्त है प्रशासन को जागने का, नहीं तो अगली खबर किसी और की ‘पिकनिक से शुरू होकर पोस्टमार्टम पर खत्म’ हो सकती है।


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