स्व. सीताराम चंदेल की स्मृति में परिजनों ने उठाया जिम्मा
अन्तिम समय में किए थे नेत्रदान—अब सेवा की नई मिसाल*
रतनपुर से विशेष रिपोर्ट
संतोष सोनी चिट्टू
रतनपुर।
कहते हैं—मन में सेवा की भावना हो तो इंसान जाने के बाद भी समाज को रोशन करता रहता है।
नगर के प्रतिष्ठित व सम्मानित नागरिक स्वर्गीय सीताराम चंदेल ने अपने जीवनकाल में यही मिसाल पेश की। जीवनभर सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले चंदेल जी ने अंतिम समय में अपने नेत्रदान कर यह संदेश दिया कि मृत्यु के बाद भी किसी की दुनिया रोशन की जा सकती है।
इसी प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए उनके पुत्र संजय चंदेल, डॉ. विजय चंदेल तथा परिवारजनों ने आज रतनपुर के दशगात्र स्थल के व्यापक जीर्णोद्धार की शुरुआत की। वह स्थल जहां शोकाकुल लोग अपने परिजनों के लिए दस दिनों तक जलार्पण करते हैं, लंबे समय से जर्जर व उपेक्षित अवस्था में था। चारों ओर गंदगी और टूट-फूट देखकर परिवारों का दर्द और बढ़ जाता था।
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नगर पालिका की उपेक्षा के बीच परिवार ने उठाया जिम्मा
दशगात्र स्थल की मरम्मत मूलतः नगर पालिका का कार्य है, लेकिन वर्षों से ध्यान न देने के कारण यह स्थान बदहाल हो चुका था। अब स्व. चंदेल जी की स्मृति में उनके परिवार ने स्वयं आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया है।
कार्य में शामिल हैं—
नई बाउंड्री वॉल का निर्माण
सेड (शेड) का निर्माण, ताकि लोग धूप-बारिश से सुरक्षित रहें
गार्डेनिंग व सौंदर्यीकरण से पूरे स्थल को स्वच्छ, सुन्दर व शांतिपूर्ण बनाना
स्थल की नियमित सफाई और व्यवस्था का प्रबंधन
मंदिरों की पुताई ,पूरे घाट की सफाई
इस सेवा कार्य की शुरुआत आज विधिवत रूप से की गई, जिसमें स्थानीय नागरिक भी शामिल हुए।
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नेत्रदान से शुरू हुई एक रोशनी, जो अब समाज तक फैल रही है
स्व. सीताराम चंदेल द्वारा किया गया नेत्रदान रतनपुर क्षेत्र के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है। उनकी इस अंतिम इच्छा के कारण दो व्यक्तियों की जिंदगी में प्रकाश लौटा। अब उसी प्रकाश को समाज सेवा के रूप में आगे बढ़ाते हुए परिवार ने दशगात्र स्थल को विकसित करने का बीड़ा उठाया है।
स्थानीय लोग कह रहे हैं—
“एक ओर आंखें दान कर किसी की जिंदगी में उजाला किया, दूसरी ओर दशगात्र स्थल को संवारकर समाज के दुख का बोझ हल्का किया। यह वास्तव में अविस्मरणीय योगदान है।”
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नगर में प्रशंसा की लहर—चंदेल परिवार बना प्रेरणा स्रोत
चंदेल परिवार की इस पहल ने नगर में सकारात्मक माहौल तैयार किया है।
लोगों ने कहा कि—
“जब प्रशासन जिम्मेदारी नहीं निभा रहा, तब किसी परिवार का स्वयं आगे आकर समाज के हित में कार्य करना वाकई सराहनीय है। स्वर्गीय चंदेल जी की आत्मा को इससे निश्चित ही शांति मिलेगी।”
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नगर पालिका पर सवाल—कब जागेगा प्रशासन?
इस घटना ने नगर पालिका की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता का कहना है कि—
“ऐसे धार्मिक-सामाजिक स्थलों की मरम्मत और सफाई नगर पालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि हर जगह नागरिकों को ही खर्च उठाना पड़े, तो फिर प्रशासन की भूमिका क्या है?”
लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि नगर पालिका इस पहल से सीख लेगी और भविष्य में ऐसी जगहों को नियमित रूप से मेंटेन करेगी।
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स्व. चंदेल जी की सेवा यात्रा—जीवन से परलोक तक
सामाजिक कार्यों में हमेशा अग्रणी
जरूरतमंदों की सहायता
सादगी, विनम्रता और समाज सेवा की पहचान
अंतिम समय में नेत्रदान का संकल्प
निधन के बाद अब परिजन कर रहे समाज सेवा का कार्य
यह अपने आप में दुर्लभ उदाहरण है, जब किसी व्यक्ति की जीवन यात्रा के आदर्श उसके परिवार को समाज सेवा के लिए प्रेरित करें और वह प्रेरणा नगर के लिए कल्याणकारी कदम बन जाए।
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दशगात्र स्थल अब निखरेगा—और स्व. चंदेल जी की स्मृति समाज में रोशनी बनकर जीवित रहेगी।
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