सनसनीखेज खुलासा: यूनिटी हॉस्पिटल में मौत या मर्डर? पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोले राज़, मृतका का शव छुपाकर भेजा गया यूपी!
रतनपुर/बिलासपुर में यूनिटी हॉस्पिटल से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। सवाल सिर्फ एक महिला की मौत का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र, अस्पताल की संदिग्ध भूमिका, और न्याय की लड़ाई का है, जो अब तूल पकड़ता जा रहा है।
मौत की गुत्थी – हादसा या हत्या?
12 जुलाई की दोपहर, तालापारा के कारोबारी कारी बशीर अपनी पत्नी सलमा को यूनिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराते हैं। मोहल्ले में अफवाह फैलती है कि महिला ने एसिड पी लिया, लेकिन पड़ोसियों और परिजनों का दावा है कुछ और – उनके मुताबिक सलमा को रात में बेरहमी से पीटा गया और फिर उसे ज़बरदस्ती कोई जहरीली चीज़ खिलाई गई।
एलएएमए या झूठ का परदा?
13 जुलाई की रात 10:45 पर अस्पताल ने महिला को LAMA (Leave Against Medical Advice) के तहत डिस्चार्ज कर दिया, लेकिन उसी वक्त की ECG रिपोर्ट कहती है – महिला मर चुकी थी! सवाल ये उठता है: मृत शरीर पर कैसे बना LAMA दस्तावेज़? क्या यह कानून और मानवता दोनों के खिलाफ एक फर्जीवाड़ा नहीं?
फ्रीज़र एम्बुलेंस में सीधे उत्तर प्रदेश – छुपाने की साजिश?
डिस्चार्ज के तुरंत बाद, सलमा के शव को फ्रीज़र लगी एम्बुलेंस में डालकर चुपचाप यूपी भेज दिया गया। न कोई पुलिस को सूचना, न ही कोई मेडिकल कानूनी प्रक्रिया – क्या यह एक सोची-समझी साजिश नहीं?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट – झूठ की पोल खुली!
अस्पताल ने दावा किया – "महिला के शरीर पर कोई चोट नहीं थी"। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दर्ज हैं – कई जगहों पर गहरी चोट के निशान। अब सवाल उठता है – किसे बचा रहा है यूनिटी हॉस्पिटल?
भाई ने खोली पोल – डीएम को दी शिकायत, न्याय की गुहार
मृतका के भाई रागिब ने बिलासपुर के जिलाधीश को विस्तृत शिकायत सौंपते हुए मांग की है:
- अस्पताल के CCTV फुटेज जब्त किए जाएं
- स्वतंत्र पूछताछ हो सभी कर्मचारियों से
- दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई और
- यूनिटी हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द किया जाए
अब क्या करेगा प्रशासन?
ये सिर्फ सलमा की मौत का मामला नहीं – ये है एक ऐसी व्यवस्था के खिलाफ आवाज़, जो मौत पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।
क्या इंसाफ मिलेगा? या फिर एक और केस फाइलों में दब जाएगा?
👉 जनता पूछ रही है – "क्या मौत को भी मैनेज किया जा सकता है?"
👉 प्रशासन से सवाल – "कब जागेंगे जिम्मेदार?"
यह खबर अब सिर्फ एक घटना नहीं, एक आंदोलन बन सकती है, यदि कार्रवाई में पारदर्शिता और गंभीरता बरती जाए।
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