बिलासपुर में साइबर ठगी का गंभीर मामला: DSP रश्मित कौर की फेक आईडी बनाकर फर्नीचर बेचने का विज्ञापन, ठग ने मांगे पैसे

बिलासपुर में साइबर ठगी का गंभीर मामला: DSP रश्मित कौर की फेक आईडी बनाकर फर्नीचर बेचने का विज्ञापन, ठग ने मांगे पैसे

रतनपुर से संतोष सोनी चिट्टू 

बिलासपुर, छत्तीसगढ़: बिलासपुर जिले में साइबर क्राइम का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां ठगों ने सीएसपी रश्मित कौर चावला के नाम पर फर्जी व्हाट्सऐप आईडी बनाकर सोशल मीडिया पर सस्ते दामों में फर्नीचर बेचने का फर्जी विज्ञापन वायरल कर दिया। यही नहीं, ठग ने इस फर्जी पहचान का इस्तेमाल करते हुए DSP के परिचितों को मैसेज भेजकर पैसों की मांग भी शुरू कर दी।
यह पूरा मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। रश्मित कौर, जो वर्तमान में SSP हेडक्वार्टर में पदस्थ CSP हैं, उनके नाम व फोटो का दुरुपयोग कर किसी अज्ञात व्यक्ति ने व्हाट्सऐप पर फेक अकाउंट तैयार किया। ठग ने व्हाट्सऐप डीपी (प्रोफाइल पिक्चर) में DSP रैंक की वर्दी में रश्मित कौर की तस्वीर भी लगाई, जिससे फेक आईडी बिल्कुल असली लगे।

ठग का फर्जी फर्नीचर बिक्री प्लान

इस फेक आईडी के माध्यम से ठग ने सोशल मीडिया पर "सस्ते दामों में फर्नीचर बिक्री" का विज्ञापन पोस्ट किया और लोगों को मैसेज भेजकर बुकिंग के लिए एडवांस पैसे मांगने लगा। यही नहीं, ठग ने रश्मित कौर के कई परिचितों को भी निजी मैसेज भेजकर अलग-अलग बहाने से पैसे की डिमांड की।

सावधानी से खुला मामला

इस साइबर ठगी का खुलासा तब हुआ जब एक परिचित ने संदेह होने पर खुद रश्मित कौर से संपर्क कर इस संदर्भ में जानकारी ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएसपी रश्मित कौर ने तत्काल सिविल लाइन थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई।

आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज, जांच शुरू

शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट और अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर तकनीकी जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फर्जी आईडी किस नंबर से बनाई गई, और किस लोकेशन से साइबर ठगी का प्रयास किया गया।


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⚠️ सावधानी जरूरी:

बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि

किसी भी संदिग्ध मैसेज या विज्ञापन पर भरोसा न करें

पैसे भेजने से पहले व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करें

किसी भी प्रकार की ठगी की सूचना तुरंत स्थानीय थाने या साइबर सेल को दें



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🔍 यह मामला न सिर्फ एक पुलिस अधिकारी की पहचान के दुरुपयोग का है, बल्कि यह आम नागरिकों को भी साइबर सुरक्षा को लेकर सजग रहने की चेतावनी देता है।

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