सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर में डॉक्टरों की अनुपस्थिति बनी बड़ी समस्या, नगरवासियों ने जताई नाराजगी
रतनपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर में स्टॉप,डॉक्टर की कमी के चलते मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में जिला कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर की सुविधा तो उपलब्ध करा दी गई है, लेकिन अब यहां डॉक्टर (सहायक स्टाफ) की भारी कमी खल रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी से बिल्हा CHC मे 14 डॉक्टर पदस्थ है रतनपुर CHC केवल 3 - 4 डॉक्टर के भरोसे चल रहा इतने कम स्टॉफ होने के पर भी NRC,ऑपरेशन थिएटर, सोनोग्राफी चालू किया गया है आस पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो से कर्मचारी संलग्न कर सहयोग लिया जाकर रतनपुर अस्पताल का संचालन किया जा रहा
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऑपरेशन थियेटर बनने के बाद भी जब जरूरी स्टाफ और डॉक्टर समय पर मौजूद नहीं होंगे, तो इलाज कैसे संभव होगा? नगरवासियों ने शिकायत की कि सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी उन्हें प्राइवेट क्लिनिक या दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, क्योंकि यहां नियमित रूप से डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते।
स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्थाओं से नाराज नागरिकों ने जिम्मेदार अधिकारियों से मांग की है कि जल्द से जल्द पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति की जाए और डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, ताकि आमजन को स्वास्थ्य सुविधा का समुचित लाभ मिल सके।
डॉ विजय चंदेल
चिकित्सा प्रभारी
हमारे यह स्टॉप की कमी है
जिसके चलते नगर के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा ऐसी स्थिति देखते हुए स्वास्थ्य प्रभारी से इस्तीफा देना चाह रहा हूं।
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रतनपुर नगर पालिका अध्यक्ष
लवकुश कश्यप
नगर के जनता ने मुझे फोन कर बुलाया यहां इलाज सही ढंग से नहीं हो पा रहा है । यहां आकर देखा कि डॉक्टरों की मौजूदगी नहीं है,और स्टाफ नहीं है जिस पर मैं संज्ञान लेते हुए उच्च अधिकारी से बात कर समुचित ढंक से व्यवस्था कराई जाएगी कोशिश करूंगा कि यहां स्टाफ बढ़े और अच्छी इलाज जनता को मिले
इमरजेंसी में डॉक्टर नदारद, वार्ड बॉय-डॉक्टर की मिलीभगत से मरीजों को भेजा जा रहा प्राइवेट हॉस्पिटल
बिलासपुर। शहर के सरकारी अस्पतालों में रात के समय इमरजेंसी सेवाएं बदहाल होती जा रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रात्रिकालीन ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के चलते गंभीर मरीजों का समय पर इलाज नहीं हो पा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल के कुछ वार्ड बॉय और डॉक्टरों की मिलीभगत सामने आ रही है। आरोप है कि ये मरीजों को सरकारी इलाज की बजाय जानबूझकर प्राइवेट हॉस्पिटल रिफर कर रहे हैं। इतना ही नहीं, एम्बुलेंस भी निजी अस्पतालों की ही बुलाई जा रही हैं, जिससे मरीजों के परिजनों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
सूत्रों का कहना है कि यह एक सुनियोजित नेटवर्क की तरह काम कर रहा है, जिसमें कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी सुविधाओं की अनदेखी कर मरीजों को कुछ चुनिंदा विशेष निजी अस्पताल मे इलाज अच्छा होना बताया जा कर रेफर का खेल चल रहा है चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की संलिप्ता कुछ चुनिंदा अस्पताल मे मरीज भेजनें की एवज मे मोटी रकम कमीशन का खेल चल रहा परेशान मरीज झांसे आ जाते है निजी अस्पताल मे इलाज कर पैसे बर्बाद कर रहे निजी संस्थानों की ओर धकेला जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की है। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं में जनता का भरोसा खत्म कर देगा।
वार्ड बॉय मौजूद, फिर भी मरीजों को उठाने में परिजन कर रहे मशक्कत, न स्ट्रेचर चला रहे, न स्ट्रेचर आलम यह है की वार्ड बॉय राजश्री गुटखा चबाते क्षिरसागर आसन मे बैठ स्मार्ट फ़ोन चलाते नज़र जरूर आएंगे
यहां स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। मामला मरीजों की देखभाल से जुड़ा है, जहां अस्पताल में वार्ड बॉय की मौजूदगी के बावजूद न तो स्ट्रेचर धकेला जा रहा है और न ही व्हीलचेयर का उपयोग कर मरीजों को लाया या ले जाया जा रहा है।
स्थिति यह है कि गंभीर मरीजों को उनके परिजन खुद स्ट्रेचर या व्हीलचेयर खींचते नजर आते हैं। कई बार तो स्ट्रेचर ढूंढने से भी नहीं मिलता, और मिलने के बाद भी उसे चलाने वाला कोई नहीं होता। इससे साफ होता है कि अस्पताल में जिम्मेदारों की जवाबदेही खत्म होती जा रही है।
परिजनों का कहना है कि वार्ड बॉय सामने खड़े रहते हैं लेकिन सहयोग करने को तैयार नहीं होते। "हमने जब मदद मांगी तो साफ इनकार कर दिया गया," एक मरीज के परिजन ने बताया।
यह लापरवाही न केवल मरीजों की हालत को और बिगाड़ रही है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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