रतनपुर – प्रसिद्ध महामाया कुंड में हुए कछुआ कांड ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। इस पर्यावरणीय अपराध में 23 कछुओं की मौत हो का जिम्मेदार फरार हो चुके है। वनविभाग ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दोनों गरीब मछुआरे बताए जा रहे हैं। वहीं, मुख्य आरोपी सहित तीन अब भी फरार हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह घटना पूरी तरह से सुनियोजित थी और इसमें रसूखदार लोगों का हाथ है, लेकिन कार्रवाई केवल निम्न वर्ग के लोगों पर हो रही है। गिरफ्तार मछुआरे जीविकोपार्जन के लिए मछली पकड़ने जाते हैं, जबकि सूत्रों की मानें तो असली साजिशकर्ताओं ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गिरफ्तारी से बचाव कर लिया है।
प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों मुख्य आरोपी अभी तक गिरफ्त से बाहर हैं, जबकि घटना के चश्मदीद और सबूतों से उनकी संलिप्तता सामने आ चुकी है।
पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच और सभी दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
आखिर क्यों हुए फरार समय रहते कारवाही क्यों नहीं हुई
सवाल
“आखिर क्यों हुए फरार और समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं हुई?” यह सवाल प्रशासन, वनविभाग और पूरे न्यायिक तंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
कुछ संभावित कारण जो इस स्थिति की ओर इशारा करते हैं:
1. प्रभाव और रसूख का इस्तेमाल:
मुख्य आरोपियों के रसूखदार होने की बात सामने आ रही है। ऐसे लोग अक्सर अपनी पहुंच और सत्ता के इस्तेमाल से कानून से बच निकलते हैं।
2. प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही:
अगर चश्मदीद गवाह और सबूतों के बावजूद मुख्य आरोपी फरार हैं, तो या तो प्रशासन ने जानबूझकर ढील दी या फिर अंदरूनी मिलीभगत हो सकती है।
3. गरीबों को आसान निशाना बनाना:
अक्सर देखने में आता है कि गरीब और कमजोर तबकों को ही बलि का बकरा बना दिया जाता है, क्योंकि वे कानूनी लड़ाई लड़ने की स्थिति में नहीं होते।
4. समय पर कार्रवाई न होना:
अपराध के तुरंत बाद ही यदि त्वरित कार्रवाई होती, तो मुख्य आरोपी शायद बच नहीं पाते। देर से की गई कार्रवाई ने उन्हें फरार होने का समय दे दिया।
अब क्या होना चाहिए?
निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन
मुख्य आरोपियों की संपत्ति कुर्क कर गिरफ्तारी का दबाव
जवाबदेही तय हो — कौन अफसर जिम्मेदार है इस चूक के लिए?
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