ब्रेकिंग: रतनपुर स्कूल में भौतिकी पेपर बदलाव व लीक का घोटाला, 'मिशन 90 प्लस' के दावों पर सवाल

ब्रेकिंग: रतनपुर स्कूल में भौतिकी पेपर बदलाव व लीक का घोटाला, 'मिशन 90 प्लस' के दावों पर सवाल

रतनपुर, 24 सितंबर 2025: जिला प्रशासन के महत्वाकांक्षी 'मिशन 90 प्लस' के तहत परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के दावे, स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, रतनपुर में हुई एक बड़ी अनियमितता के बाद गंभीर सवालों के घेरे में हैं। यहां 12वीं कक्षा की भौतिकी की परीक्षा में प्रश्न पत्र बदलने और चुनिंदा छात्रों को पेपर लीक करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
डीईओ के आदेश की अवहेलना का सवाल
इस मामले ने तब और गंभीर रूप ले लिया है जब यह पता चला है कि जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) द्वारा जारी समय सारणी में स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि पेपर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद स्कूल प्रशासन ने 22 सितंबर को आयोजित परीक्षा में जिला स्तर पर बने मानक प्रश्न पत्र के स्थान पर एक अलग पेपर छात्रों को दिया। यह कार्रवाई न केवल गोपनीयता नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: आखिर किसकी अनुमति से डीईओ के आदेश की अवहेलना की गई?
'मिशन 90 प्लस' की विश्वसनीयता पर प्रहार

यह घटना उस समय सामने आई है जब महज चार दिन पहले, 20 सितंबर को, शिक्षा विभाग ने सत्र 2024-25 में 'मिशन 90 प्लस' की कथित सफलता पर एक बड़े सम्मान समारोह का आयोजन कर अपनी सफलता का जश्न मनाया था। यह घोटाला उस अभियान की मूल भावना और कलेक्टर की निगरानी में चलने वाली इस योजना की प्रभावशीलता पर सीधा प्रहार है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे अभियान केवल दिखावे तक सीमित हैं। इस तरह की अनियमितता सामने आने पर कलेक्टर का संज्ञान लेना अनिवार्य हो गया है।

छात्रों के गंभीर आरोप

छात्रों के अनुसार, स्कूल द्वारा अच्छा परिणाम दिखाने के दबाव में कुछ चुनिंदा छात्रों को परीक्षा से पहले ही भौतिकी का प्रश्न पत्र दे दिया गया था। सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि स्कूल में पूरा पाठ्यक्रम ही नहीं पढ़ाया गया। छात्रों का कहना है कि पूरे साल में पाठ्यक्रम के 30% से भी कम, सिर्फ 5 अध्याय ही पढ़ाए गए और प्रैक्टिकल कार्य लगभग नहीं के बराबर हुआ।

शिक्षक पर 'ऊंचे संपर्क' का आरोप

आरोपों का केंद्र भौतिकी व्याख्याता रौनित विश्वकर्मा हैं। छात्रों का आरोप है कि शिक्षक के 'ऊंचे संपर्क' के चलते उनकी मनमानी बर्दाश्त की जाती है। जब शिक्षक से इस बारे में पूछा गया तो उनका बचाव यह था कि "यदि दूसरे अध्याय पढ़ाए गए हैं तो प्रश्न पत्र बदला जा सकता है।" यह बयान जिला स्तर पर मानक पेपर बनाने की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा कर देता है।

अब आगे क्या?

इस घटना ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं:

1. क्या जिला प्रशासन, विशेष रूप से कलेक्टर, इस मामले की गहन जांच करेंगे?
2. डीईओ के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कड़ी कार्रवाई होगी?
3. क्या 'मिशन 90 प्लस' की सफलता के दावों की पड़ताल होगी?
4. मेहनती छात्रों के साथ हुए इस अन्याय का समाधान कैसे निकाला जाएगा?

यह मामला अब सिर्फ एक स्कूल की अनियमितता नहीं रह गया है, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा ले रहा है। छात्रों और अभिभावकों की निगाहें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।

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