रतनपुर पुलिस पर गंभीर आरोप: दो दिन पहले 20 हजार लेकर छोड़े थे तस्कर, अब पकड़ी गई 50 पाव अवैध शराब
रतनपुर। क्षेत्र में अवैध शराब के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच रतनपुर थाना की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, रतनपुर थाना में पदस्थ एएसआई नरेश गर्ग और सिपाही संजय यादव ने दो दिन पहले दो शराब तस्करों को 20 पाव देशी शराब के साथ पकड़ा था, लेकिन कथित रूप से 20 हजार रुपये की लेन-देन कर उन्हें मौके पर ही छोड़ दिया।
इस कार्रवाई का कोई भी रिकॉर्ड थाना डायरी में दर्ज नहीं किया गया।
सूत्र बताते हैं कि इस गुप्त समझौते के चलते तस्करों को खुली छूट मिल गई।
मामले के महज 48 घंटे बाद ही कूचियों गांव में 50 पाव देशी शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि पहले की घटना में कठोर कार्रवाई होती, तो यह बड़ी तस्करी नहीं हो पाती।
इससे साफ है कि शराब माफिया और पुलिस के बीच गठजोड़ है।
थाना स्तर पर मिलीभगत की बातें पहले भी सामने आती रही हैं।
इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें सीधे तौर पर आर्थिक लेन-देन की बात सामने आ रही है।
पुलिस की इस लापरवाही से क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस घटनाक्रम पर नाराजगी जताई है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि रतनपुर थाना क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार तेजी से फैल रहा है।
थाने के ही कुछ कर्मचारी इस तस्करी को संरक्षण दे रहे हैं।
इस तरह की घटनाएं पुलिस की निष्पक्षता को कमजोर करती हैं।
तस्करों ने खुलेआम पुलिस से मिली छूट का लाभ उठाकर अपना नेटवर्क फैलाया।
इस घटना के बाद नागरिकों में भारी आक्रोश है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है।
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पुलिस विभाग की छवि पर ऐसा मामला सीधा हमला है।
यदि पुलिस ही कानून तोड़ेगी, तो आम जनता क्या उम्मीद करेगी?
यह घटना सिर्फ एक तस्करी का मामला नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की असफलता का संकेत है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में नशा माफिया किस कदर मजबूत हो चुके हैं।
पुलिस की आंखों के सामने अवैध शराब की सप्लाई होना चिंताजनक है।
कई ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इन अधिकारियों को शराब तस्करों से मिलते देखा था।
इन आरोपों की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि सच सामने आ सके।
पुलिस अधीक्षक से भी इस प्रकरण की रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए।
यदि दोषियों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता का कानून व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।
इस प्रकार की घटनाएं न सिर्फ क्षेत्र को बदनाम करती हैं, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली को भी कमजोर करती हैं।
जरूरत है सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता की, ताकि आगे कोई अधिकारी ऐसी गलती न दोहराए।
समाज को नशे के जाल से बचाने के लिए ऐसे मामलों पर कठोर रुख अपनाना होगा।
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