प्राचीन परंपरा काकड़ा आरती में उमड़ रही भक्तों की भीड़

प्राचीन परंपरा काकड़ा आरती में उमड़ रही भक्तों की भीड़
संपादक संतोष सोनी चिट्टू 
रतनपुर -- धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी रतनपुर के ह्रदय स्थल बड़ी बाजार में स्थित अति प्राचीन पंढरीनाथ मंदिर जहां माह भर तक चलने वाली काकड़ा आरती में भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है।

रतनपुर के बड़ी बाजार में कलचुरी शासन काल संवत 1725 में स्थापित पंढरी नाथ मंदिर जो लगभग 370 वर्ष प्राचीन है, जिसका निर्माण संत काशीकर महाराज जी के द्वारा भिक्षाटन से धन एकत्रित कर किया गया था। और यह मंदिर मराठी धर्म संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है । इस मंदिर के गृह गर्भ में भगवान श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मणी की जीवंत व अनूठी कलात्मक प्रतिमा स्थापित है।
            पंढरीनाथ मंदिर में प्राचीन मराठी परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी काकड़ा  आरती आरंभ हो गया है, जो निरंतर एक माह तक जारी रहता है जहां सर्व धर्म समाज के भक्तजन प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे मराठी भाषा के भजन को बड़े ही तन्मयता के साथ गाते हुए मराठी परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस काकड़ा आरती के दौरान भक्त जनों द्वारा प्रतिदिन ब्रम्हमुहूर्त में प्रातः 4:00 बजे घंटनाद करके भगवान विट्ठल व देवी रुक्माई को जगाया जाता है, और इस घंटध्वनि की आवाज नगर के कोने-कोने तक सुनाई पड़ती है, फिर नगर सारे श्रद्धालुगण मंदिर में आकर समूह में बैठकर भगवान पंढरी नाथ जी के भजन श्रृंखला की शुरुआत करते हैं जिसमें सबसे पहले भूपाली में गणपति वंदना, चूड़ामणि, और पांडुरंग के भजन गाए जाते हैं, इसके पश्चात देवी दुर्गा की आरती भगवान शंकर, राम, कृष्ण आदि की भजनों को मराठी में सामूहिक रूप से बड़े ही तन्मयता के साथ गाते हुए मराठी परंपरा का निर्वहन किया  जाता है, यह परंपरा इतनी प्राचीन है कि जिस समय धर्म नगरी रतनपुर में बिजली नहीं पहुंची थी तब कंडील की रोशनी से काकड़ा आरती की इस प्राचीन अनोखी परंपरा का सफर में आज भी वही जीवन्त रूप देखने को मिलता है तथा प्राचीन परंपरा के अनुसार काकड़ा आरती के दौरान आज भी पुरानी धोती के कतरन से आरती की बाती बनाई जाती है जिसे काकड़ा कहा जाता है। जिसे सैकड़ो श्रद्धालु इस टिमटिमाते हुए लंबी बाती को अपने हाथों में लेकर देवी देवताओं व संत महात्माओं की आरती गाते हुए भगवान विट्ठल व देवी रुक्माई की सामूहिक रूप से आरती करते हैं इस  दृश्य में सैकड़ो हाथों में एक साथ जगमगाते दिये की तरह  आरती का दृश्य बड़ा ही मनमोहक व अलौकिक होता है। बता दें कि प्रति वर्ष काकड़ा आरती के दौरान लगभग ढाई से तीन हजार काकड़ा बाती बनाई जाती है जो प्रतिदिन प्रातः सैकड़ो हाथों में मंदिर परिसर को दैदिव्यमान करती है।
          भगवान पंढरीनाथ मंदिर के वर्तमान प्रबंधक व पुजारी आनंद नगरकर व अनिरुद्ध नगरकर ने दैनिक अमर स्तंभ से बताया कि उनके परिवार द्वारा लगभग 6 पीढ़ियों  से भगवान पंढरीनाथ की पूजा पाठ व सेवा करते आ रहे हैं, जिसे आगे ले जाने में उनके साथ नगर के सारे भक्तगण प्रयासरत है। आगे उन्होंने बताया की इस दौरान मंदिर में अनेक धार्मिक अनुष्ठान सम्पन  किए जाएंगे जिसके तहत 12 नवम्बर को दिंडी यात्रा व 13 नवम्बर को हरि भजन पारंगत कीर्तन रत्न परम पूज्य विजय कृष्ण भागवत जी लखनऊ वाले के द्वारा प्रतिदिन शाम को कीर्तन आयोजित की जाएगी और 15 तारीख की प्रातः काकड़ा आरती का विश्राम होगा, तथा 16 तारीख को गोपाल काला महोत्सव मनाया जाएगा।

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